5 Simple Statements About beautiful english naat lyrics Explained
5 Simple Statements About beautiful english naat lyrics Explained
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best naat lyrics in hindi
Hasbi rabbi jallallah, Maula ya salli wa sallim, Khuda ka zikr kare, Meri ulfat madine se yunhi nahi, Faslon ko takalluf hy hum sy agr, Be khud kiye dete hain, Har waqt tasawwur mein, Lam yati nazeero kafi nazarin, Huzoor aisa koi intezam ho jaye, Aye saba mustafa se keh dena, Chamak tujhse pate hain sab pane wale, Khula hai sabhi ke liye baab e rehmat, Tu kuja man kuja, Falak ke nazaro, Tajdar e haram salam, Aye sabz gumbad wale, Rok leti hai aapki nisbat, Sab se aula o aala hamara nabi, Ek major Hello nahi un par qurban zamana hai, Kabe ki ronak kabe ka manzar, Tu shamm e risalat hai, Dare nabi par, Subha taiba mein hui batta hai bara noor ka, Chalo diyare nabi ki janib, Zameen o zaman tumhare liye, Ek most important hi nahi un par, Salam us par ke jisne badshahi primary fakiri ki Dekhte kya ho ahle safa naat lyrics Dera dil aur meri jaan madine wale , Jahan Roza E Pak E Khairul Wara Hai naat lyrics, Hudood e tair e sidra , Huzoor meri to sari bahar aap se hai , Zameen maili nahi hoti , Wo suey lalazar phirte hain, Koi saleeqa hai arzoo ka naat naat lyrics, Ya muhammad noor e mujassamYa mustafa khair ul wara naat lyrics, Tere hotay janam liya hota naat lyrics, Haqeeqat major wo lutfe zindagi naat lyrics, Jab masjid e nabvi ke minar nazar aaye naat lyrics, Lamha lamha shumar karte hain naat lyrics And several more
हाजियो ! मुस्तफ़ा से कह देना, बे-सहारे सलाम कहते हैं
फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो रुख़ से पर्दा अब अपने हटा दो अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं एक मुजरिम सियाह-कार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ा-वार हूँ मैं मेरे चारों तरफ़ है अँधेरा रौशनी का तलबग़ार हूँ मैं इक दिया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं वज्द में आएगा सारा 'आलम हम पुकारेंगे, या ग़ौस-ए-आ'ज़म वो निकल आएँगे जालियों से और क़दमों में गिर जाएँगे हम फिर कहेंगे कि बिगड़ी बना दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा !
ग़म के बादल तमाम छटने लगे, पर्दे आँखों से सारे हटने लगे
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे.
ऐ सबा ! मुस्तफ़ा से जा कहना, ग़म के मारे सलाम कहते हैं
मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
या हुसैन इब्न-ए-'अली ! या हुसैन इब्न-ए-'अली !
उन की चौखट पे पड़े हैं तो बड़ी मौज में हैं
कहाँ जाए, आक़ा ! ये मँगता भला मदीना बुला लीजिए वो रमज़ान तेरा, वो दालान तेरा वो अज्वा, वो ज़मज़म, ये मेहमान तेरा तेरे दर पे इफ़्तार का वो मज़ा मदीना बुला लीजिए जहाँ के सभी ज़र्रे शम्स-ओ-क़मर हैं जहाँ पे अबू-बक्र-ओ-'उस्माँ, 'उमर हैं जहाँ जल्वा-फ़रमा हैं हम्ज़ा चचा मदीना बुला लीजिए हुआ है जहाँ से जहाँ ये मुनव्वर जहाँ आए जिब्रील क़ुरआन ले कर मुझे देखना है वो ग़ार-ए-हिरा मदीना बुला लीजिए जिसे सब हैं कहते नक़ी ख़ाँ का बेटा वो अहमद रज़ा है बरेली में लेटा उसी आ'ला
मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं ग़ौस-उल-आ'ज़म हो, ग़ौस-उल-वरा हो नूर हो नूर-ए-सल्ले-'अला हो क्या बयाँ आप का मर्तबा हो ! दस्त-गीर और मुश्किल-कुशा हो आज दीदार अपना करा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं सुन रहे हैं वो फ़रियाद मेरी ख़ाक होगी
While, Balaghal Ula Be Kamalehi is extremely popular naat recited by just about every other naat khwaan although the way Owais Raza Qadri has introduced it, may be very very beautiful. He merged couplets of different naats During this kalam and manufactured it a lovely piece For each and every naat lover.
पहुँचा हतीम-ए-का'बा के अंदर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
मगर जो आख़िर में आमिना का वो लाल आया, कमाल आया !